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शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

राहुल गाँधी से कुछ तो सीखो भ्रष्ट नेताओं !!!

कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी जी कल अचानक बिना किसी को सूचित किये स्वयं गाड़ी ड्राईव करते हुए हरियाणा में हिसार जिले के मिर्चपुर गाँव में जा पहुँचे, जहाँ गत २१ अप्रैल, २०१० को दबंगों ने एक मामूली कहासुनी के बाद दलित (वाल्मिकी) बस्ती को आग के हवाले कर दिया और जिसमें एक व्यक्ति व उसकी बेटी की जलकर मौत हो गयी थी। दबंगों के डर के मारे में दलित बस्ती पलायन करने के लिए मजबूर हो गयी थी। ऐसे में बिना किसी को सूचित किये राहुल गाँधी दलित परिवारों का दु:ख-दर्द बांटने अचानक गुरूवार सुबह हरियाणा कांगे्रस के प्रभारी केन्द्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हान के साथ टूरिस्ट नंबर की सफेद इनोवा कार से दिल्ली से मिर्चपुर के लिए रवाना हुये। उनके काफिले में सफेद रंग की चार कारें थीं, लेकिन किसी पर न तो लाल बत्ती थी और न ही सायरन। दिल्ली से गाँव तक के २२५ किलोमीटर के सफर की राज्य खुफिया विभाग के अलावा हिसार के जिला प्रशासन, प्रदेश कांगे्रस और राज्य सरकार को भनक तक नहीं लगी।
राहुल इस गाँव में लगभग ४० मिनट रूके, दलित बस्ती के जले हुये मकानों का जायजा लिया, वाल्मिकी लोगों को गले से लगाया, उनके बीच बैठकर दलितों पर हुये अत्याचार पर अफसोस जताया और उन्हें पूरा-पूरा न्याय दिलाने के लिये कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से बात करने का पक्का आश्वासन दिया।
यह कोई साधारण समाचार नहीं है। यह भावी आदर्श प्रधानमंत्री की सच्ची ईबारत है। राहुल जिस तरह से सादगी, नम्रता, सहृदयता एवं मासूमियत से गरीबों, दलितों, पिछड़ों के दर्द से रूबरू होने के लिए किसी भी समय आम लोगों के बीच पहुँचे हैं, वह एक सुनहरे भारत के भविष्य की ओर संकेत कर रहा है। नेता लोग सिर्फ उस समय आम आदमी के द्वार जाते हैं, जब उन्हें वोट की दरकार होती है। अहसान फरामोश, पाखण्डी, धुर्त और विश्वासघाती नेता लोग जनता को बरगलाकर चुनाव जीत भी जाते हैं, लेकिन वे अपने कार्यकाल के दौरान कभी गरीब व आम आदमी की दहलीज पर जाना तो दूर, सपने में भी उनके कल्याण के बारे में नहीं सोचते हैं। ऐसे नेता लोग दलितों, गरीबों, पिछड़ों एवं असहायोें का सिर्फ अपना वोट बैंक ही समझते हैं।
स्वर्गीय राजीव गाँधी जी का स्पष्ट अक्श राहुल गाँधी में नजर आता है। हिन्दुस्तान के कोने-कोने में आम लोगों के सुख-दु:ख से रूबरू होने के लिए स्वर्गीय राजीव गाँधी जी ने न दिन देखा और न रात, न गरमी देखी और न सर्दी। जिस बच्चे की माँ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वो मुखिया हो, जिससे अमेरिका जैसे दादागिरी वाले देश भी थर्राते थे, वो बच्चा गरीबों, असहायों, दलितों, पिछड़ों की गलियों की खाक छानता फिरे, भला उसे महान् व दैवीय पुरूष नही ंतो और किसकी संज्ञा दी जाये।
आज भी जन-जन में इस दर्द की कसक आज भी जिन्दा है कि यदि स्वर्गीय राजीव गाँधी जी आतंकवादी दरिन्दगी का शिकार न हुये होते तो आज के हिन्दुस्तान का नक्शा ही कुछ और होता। राहुल को उसका सामान्य जन जैसे व्यवहार एवं आम आदमी के दर्द की कसक जिस तरह दलितों, पिछड़ों एवं गरीबों की झोंपड़ी में पहुँचा रही है, उसमें स्वर्गीय राजीव गाँधी जी की पदचाप स्पष्ट सुनाई देती है। जब राहुल गाँधी जी मंच पर अपनी अभिव्यक्ति देते हैं तो लगता है कि श्री राजीव गाँधी जी बोल रहे हैं। इसके साथ ही दिल बोल उठता है कि हाँ ! हिन्दुस्तान के गरीबों का सच्चा मसीहा बहुत जल्द दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर संभालने वाला है और दुनिया के सबसे बड़े इस लोकतांत्रिक देश में ‘राम-राज्य’ स्थापित होने वाला है।
यहाँ पर राहुल गाँधी का केवल और केवल गुणगान करने का मेरा कोई मकसद नहीं है। मेरा मकसद है दूसरे नेताओं को पे्ररित करने का। राहुल जिस तरह से अपनी जान की परवाह न करते हुये, बिना किसी सुख-सुविधा के गरीबों की टीस उनकी टूटी खटिया, कच्ची छत के नीचे, रूखे-सुखे भोजन-पानी के साथ साक्षात् रूबरू होकर महसूस कर रहे हैं, क्या आज ऐसा आदर्श उदाहरण कोई अन्य नेता दे रहा है? संसद में एक दिन थोड़ी देर के लिये बिजली क्या चली गई, सभी देश के कर्णधार लंबी जीभें निकालकर हांफने लगे और संसद-भवन को ‘गरम-भट्टी’ की संज्ञा तक दे डाली। यदि उनसे ए.सी. छिन लिये जाएं और सादा पानी पीने को कहा जाये तो शायद ही कोई नेता संसद जाने लायक रहे। जनता के खून-पसीने की कमाई को घपलों-घोटालों के जरिये उड़ाने वाले उन नेताओं को क्या यह पता है कि आज ८० प्रतिशत लोग रूपये से कम में गुजारा कर रहे हैं और बिजली, पानी, रोटी, रोजगार, छत, कपड़े आदि के लिये तरस रहे हैं? नेता लोग मात्र एक दिन के लिए अपने सभी सुख व ऐशोआराम छोड़कर गरीब आदमी के साथ कच्चे झोंपड़ों अथवा फूटपाथों पर सोकर व उनके साथ रूखा-सुखा खाकर देखे तो उन्हें पता लगे कि गरीबी क्या है, भूख क्या है?
जिस आदमी को भूख, प्यास, तंगी, बेकारी, लाचारी, शोषण आदि का ही पता नहीं होगा तो भला वह खाक गरीबों का उत्थान करेगा? आज जरूरत है हर नेता को राहुल गाँधी की तरह अपने सभी सुख-ऐशोआराम त्यागकर, बिना जान की परवाह किये, गरीबों का सच्चा हमदर्द बनकर आम व गरीब आदमी के द्वार तक आने की, ताकि वे असली भारत के दर्शन कर सकें और संसद में कुत्ते-बिल्लियों की तरह नकली लड़ना छोड़कर वास्तविकता को सामने रखकर गरीबों के हित में कारगर योजनाओं को मूर्त रूप दें, ताकि मेरे भारत वर्ष के करोड़ों गरीबों, असहायों, लाचारों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों का वास्तव में कल्याण हो सके।

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