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शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

कोई भी सन्त किसी एक जाति, कौम, धर्म अथवा मजहब का नहीं होता : राजेश कश्यप



"कोई भी सन्त किसी एक जाति, कौम, धर्म अथवा मजहब का नहीं होता, वह तो सभी के लिए आराध्य एवं पूजनीय होते हैं।" ये विचार हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप ने सन्त शिरोमणी गुरू रविदास की जयन्ति पर रोहतक में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों एवं समारोहों में व्यक्त किए। श्री कश्यप ने कहा कि यह बड़ी विडम्बना का विषय है कि हमने नीजि स्वार्थों के लिए अपने सभी साधु-सन्तों, ऋषि-मुनियों, महापुरूषों को अलग-अलग जाति, कौम, धर्म एवं मजहब में बांट लिया है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें इस कुप्रवृत्ति को जड़ से मिटाकर हर महापुरूष की जयन्ति न केवल सामूहिक रूप से और धूमधाम से मनाई जानी चाहिए, बल्कि उस महापुरूष के दिखाए मार्गों, शिक्षाओं और सिद्धान्तों को भी ग्रहण करना चाहिए तथा उन पर अमल करना चाहिए। श्री कश्यप ने कहा कि सन्त शिरोमणी रविदास ने समाज को सच्ची निष्ठा के साथ अपना कर्म करने की शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि सन्त रविदास के अनुसार, "मन चंगा तो कठौती में गंगा" अर्थात् यदि व्यक्ति का मन साफ है और उसके अन्दर परोपकार की पवित्र भावना है तो उसे दुनिया हर सुख एवं सम्मान नसीब होता है तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्री राजेश कश्यप ने कहा कि हम जो भी काम करें, चाहे वो मजदूरी हो, व्यवसाय हो, व्यापार हो, खेतीबाड़ी हो या फिर नौकरी, हमें पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।







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