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शनिवार, 24 सितंबर 2016

यूं बने थे ‘जननायक’ चौधरी देवीलाल

25 सितम्बर / जयन्ती पर विशेष /
‘जननायक’ चौधरी देवीलाल
चौधरी देवीलाल यूं बने थे ‘जननायक’ 
-राजेश कश्यप

हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है।
तब जाकर होता है चमन में दीदावर पैदा।।
हरियाणा की मिट्टी बड़ी पावन है। इस मिट्टी में अनेक ऋषि-मुनि, त्यागी तपस्वी, संत-फकीर और दैवीय शक्तियों ने अपनी जन्मभूमि व कर्मभूमि बनाया है। इन्हीं में से एक दैवीय शक्ति ने 25 सितम्बर, 1914 को हरियाणा के सिरसा जिले में गाँव तेजाखेड़ा के समृद्ध किसान चौधरी लेखराम के घर श्रीमती सुगना देवी की कोख से चौधरी देवीलाल के रूप में जन्म लिया। चौधरी लेखराम आर्य चौटाला गाँव के बहुत बड़े जमींदार थे और आर्य समाज की विचारधारा रखते थे, जिसका प्रभाव देवीलाल पर भी पड़ा। बालक देवीलाल की प्राथमिक शिक्षा मण्डी गाँव से हुई। इसके बाद उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए मोगा भेज दिया गया। देवीलाल को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में बेहद रूचि थी। उनका सबसे पसन्दीदा खेल कुश्ती था। उन्होंने गाँव बादल (पंजाब) के अखाड़े में बाकायदा प्रशिक्षण भी हासिल किया था।
जब देवीलाल दसवीं कक्षा में थे, पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्वतंत्रता आन्दोलन जोरों पर था। लाला लाजपतराय के ओजस्वी भाषण और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति असीम लगाव के चलते बालक देवीलाल ने भी राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन में छलांग लगा दी। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करनी शुरू कर दी। मात्र 16 वर्ष की आयु में सन् 1929 के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में देवीलाल ने एक सच्चे स्वयंसेवक के रूप में भाग लिया। वर्ष 1930 में देवीलाल ने आर्य समाज के प्रखर नेता स्वामी केशवानंद द्वारा बनाई गई नमक की पुड़िया खरीदी तो कोहराम मच गया और परिणामस्वरूप उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। इसके बाद तो देवीलाल पूरी तरह राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए और कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बन गए। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे सभी राष्ट्रीय आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी की। इसी कारण उन्हें 4 जनवरी, 1931 को अंग्रेजी सरकार ने गिरफ्तार करके लाहौर की बोस्टर्ल जेल में डाल दिया। उन्हें छह मास की कठोर सजा सुनाई गई। इसी जेल में चौधरी देवीलाल की मुलाकात महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ हुई। 
चौधरी देवीलाल के जेल जाने और छूटने का ऐसा दौर शुरू हुआ, जिसने रूकने का नाम ही नहीं लिया। चौधरी देवीलाल को अंग्रेज सरकार विरोधी आन्दोलनों में हिस्सा लेने के लिए वर्ष 1932 में एक बार फिर गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया। उन्हें सोलह दिन बाद रिहा कर दिया गया। वर्ष 1938 मंे उन्हें आल इण्डिया कांग्रेस कमेटी के डेलीगेट के रूप में भी चुना गया। वर्ष 1942 के ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के दौरान चौधरी देवीलाल ने ‘इंकलाब जिन्दाबाद’ और ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ के नारों को गुंजाकर रख दिया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें कालू आना गाँव से पुलिस ने 5 अक्तूबर, 1942 को गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया। चौधरी देवीलाल हिसार व मुल्तान में दो वर्ष तक नजरबन्द रहे। जेल में चौधरी देवीलाल ने भूख-प्यास आदि हर यातना को डटकर सहा और कभी भी विचलित नहीं हुए। राष्ट्र के प्रति उनके इस जोश और जुनून से पुलिस अधिकारी भी अचंभित रहते थे। चौधरी देवीलाल राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलनों में कुल मिलाकर सात बार जेल गए। उनके बड़े भाई साहिब राम भी देश की आजादी के लिए जेल गए। 
स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत चौधरी देवीलाल ने किसानों के हित में काम करना शुरू कर दिया। आम मजदूर से लेकर किसानों, असहाय, गरीबों, बुजुर्गों और महिलाओं की आवाज को बुलन्द करने के लिए चौधरी देवीलाल ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वे आम आदमी के सर्वमान्य नेता बन गए। इसी के परिणामस्वरूप वर्ष 1952 में पंजाब विधानसभा के सदस्य चुन लिए गए और वर्ष 1956 में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने। वर्ष 1958 में सिरसा विधानसभा उपचुनाव में पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए। सन! 1956-57 मंे चीफ पार्लियामेंटरी सेक्रेटरी रहे। इसके बाद प्रो. शेर सिंह के साथ हिन्दी आन्दोलन चलाया और साथ ही अलग से हरियाणा बनाने की मांग को भी पुरजोर ढ़ंग से उठाया। वर्ष 1966 में हिन्दी आन्दोलन चलाने वालों और तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के बीच समझौता हो गया। इसी के साथ 1 नवम्बर, 1966 को हरियाणा प्रदेश का निर्माण भी हो गया।  वे वर्ष सन् 1948 से 1954 और वर्ष 1966 से 1971 तक हिसार जिला परिषद के सदस्य रहे। वर्ष 1972 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया और सन् 1974 में रोड़ी हल्के से हरियाणा विधानसभा का चुनाव कांग्रेस पार्टी के विरूद्ध जीता। सन् 1975 में आपातकाल के दौरान उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों की मुखर पैरवी करने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया और 19 माह तक उन्हें जेल में रखा गया।
चौधरी देवीलाल ने वर्ष 1977 में जनता पार्टी से चुनाव जीता और 21 जून, 1977 को पहली बार हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वे 28 जून, 1979 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 1980-82 तक वे लोकसभा के सदस्य रहे। इसी दौरान न्याय युद्ध का आन्दोलन छेड़ने और आम आदमी की आवाज को बुलन्द करने के कारण प्रदेश में इतने प्रसिद्ध हो गए कि जन-जन उनसे दिल से जुड़ गया और उन्हें ‘ताऊ’ कहकर पुकारने लगा। वर्ष 1987 के दौरान ताऊ देवीलाल की आंधी में विपक्षी पार्टियों सूखे तिनकों की तरह उड़ गई और ताऊ देवीलाल की पार्टी ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से रिकार्ड़ 85 सीटों पर विजय हासिल की। इसी के चलते वे दूसरी बार 20 जून, 1987 को मुख्यमंत्री बने। इसबार वे 1 दिसम्बर, 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्हांेने अभूतपूर्व, अप्रत्याशित व अनूठे कल्याणकारी कार्य किए और देश में सच्चे जननायक बनकर उभरे।
चौधरी देवीलाल वर्ष 1989 में रोहतक लोकसभा सीट से भारी मतों के साथ संसद पहुंचे। संसद पहुंचने पर स्व. चरण सिंह, एच.डी. देवगौड़ा, स्व. वी.पी. सिंह व चन्द्रशेखर ने जननायक ताऊ देवीलाल का नाम प्रधानमंत्री के पद के लिए प्रस्तावित किया। असीम त्याग और निःस्वार्थ प्रवृति के धनी चौधरी देवीलाल ने बड़ी विनम्रता के साथ प्रधानमंत्री का ताज अपने सिर पहनने की बजाय वी.पी. सिंह के सिर पर रख दिया और स्वयं उपप्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित किया। वे वर्ष 1989 से 1991 के तक उपप्रधानमंत्री रहे। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की यह अनूठी मिसाल आज भी बड़े गर्व व गौरव के साथ याद की जाती है।
चौधरी देवीलाल ने आजीवन आम आदमी के उत्थान के लिए काम किया। उनका राजनीतिक जीवन बेहद ही उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनका पूरा जीवन ही संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा। चौधरी देवीलाल का एक महत्वपूर्ण नारा था, ‘लोकराज लोकलाज से चलता है।’ चौधरी देवीलाल राजनीतिक क्षेत्र में एक अनुकरणीय नेता रहे। उन्होंने हरदम गरीबों, असहायों, मजदूरों, किसानों, दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, बुजुर्गों आदि हर वर्ग के कल्याण के लिए अनूठे कार्य किए। वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पंेशन, दलितों व पिछड़ों की गरीब महिलाओं के लिए जच्चा-बच्चा योजना, काम के बदले अनाज, घूमन्तू बच्चों को शिक्षा के दौरान प्रतिदिन एक रूपया देने की योजना, बेरोजगारों के साक्षात्कार के लिए मुफ्त यात्रा, गरीब मजदूरों, दुकानदारों व किसानों आदि के व्यवसायिक व कृषि ऋण माफ करना, गरीब ग्रामीणों को सस्ती दर पर ऋण दिलवाना, टैªक्टरों का टोकन टैक्स बंद करना, किसानांे को बिजली, खाद, पानी आदि प्रचूर मात्रा में उपलब्ध करवाना आदि असंख्य कल्याणकारी योजनाएं जननायक चौधरी देवीलाल की अनूठी, अनुपम और अनुकरणीय देने रहीं। इन्हीं सबके चलते जन-जन के हृदय में वे अपनी अमिट छाप छोड़ पाए।
चौधरी देवीलाल सरल स्वभाव और अत्यन्त दयालू प्रवृति की महान शख्सियत थे। उनके अन्दर स्वार्थ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, कपट, जालसाजी, बेईमानी आदि कुप्रवृतियों का नामोनिशान भी नहीं था। उनके रास्ते में रोड़े अटकाने और उनके लिए बाधा उत्पन्न करने वालों के प्रति भी उनका बेहद सौम्य व्यवहार रहता था। उनका मानना था कि उनके सामने जितने संकट और अड़चने आती हैं, वे उतने ही अधिक निखरते चले जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानीं। उनके दिल में हमेशा देहात व देहातियों के प्रति लगाव रहा। वे ग्रामीण विकास के प्रबल पक्षधर थे। वे अक्सर कहते थे कि जब तक गरीब किसान, मजदूर इस देश में सम्पन्न नहीं होगा, तब तक इस देश की उन्नति के कोई मायने नहीं हैं। उनका मानना था कि भारत के विकास का रास्ता खेतों से होकर गुजरता है। उनका स्पष्ट मत था कि ‘हर खेत को पानी, हर हाथ को काम, हर तन पर कपड़ा, हर सिर पर मकान, हर पेट में रोटी, बाकी सब बात खोटी।’
कुल मिलाकर जननायक चौधरी देवीलाल आम जनमानस के लिए किसी दैवीय अवतार से कम नहीं थे। उनका पूरा जीवन ही आम आदमी के प्रति समर्पित रहा। हरियाणा के घर-घर में राजनीतिक जागृति पैदा करने वाले ताऊ देवीलाल ही थे। उनकी हर सांस देहात के लोगों के कल्याण के लिए धड़कतीं थीं। जब वे दिल्ली के अस्पताल में जिन्दगी के आखिरी सांस ले रहे थे, तब भी उन्हें देहात के किसानों व मजदूरों की चिंता थी। उस समय भी वे उनसे मिलने के लिए आने वालों से बराबर देहातियों की कुशलक्षेम पूछ रहे थे। आम आदमी के हितों के लिए धड़कते इस दिल ने अंततः 6 अपै्रल, 2001 की शाम को सात बजे धड़कना बंद कर दिया और देहातियों का यह दैवीय अवतार हमेशा के लिए परमपिता परमात्मा के श्रीचरणों में जा विराजा। भारत सरकार ने उनकीं अत्येष्टि किसान घाट में की और जननायक ताऊ देवीलाल की समाधि स्थापित की। इस महान और अमर शख्सियत को सादर कोटि-कोटि नमन।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक हैं।)


राजेश कश्यप
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक।

सम्पर्क सूत्र:
राजेश कश्यप
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक
म.नं. 1229, पाना नं. 8, नजदीक शिव मन्दिर,
गाँव टिटौली, जिला. रोहतक
हरियाणा-124005
मोबाईल. नं. 09416629889
e-mail : rajeshtitoli@gmail.com

(लेखक परिचय: हिन्दी और पत्रकारिता एवं जनसंचार में द्वय स्नातकोत्तर। दो दशक से सक्रिय समाजसेवा व स्वतंत्र लेखन जारी। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 3500 से अधिक लेख एवं समीक्षाएं प्रकाशित। आधा दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। दर्जनों वार्ताएं, परिसंवाद, बातचीत, नाटक एवं नाटिकाएं आकाशवाणी रोहतक केन्द्र से प्रसारित। कई विशिष्ट सम्मान एवं पुरस्कार हासिल।)


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